Tuesday 15 May 2012

किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृति

समाचार पत्रों में सुबह सुबह हमारे किशोरों की गंभीर अपराधों में शामिल होने की खबरें जब अक्सर देखता हूँ तो पढ़ कर मन क्षुब्ध हो जाता है. कुछ दिन पहले समाचार पत्रों में खबर थी कि चार किशोरों ने कक्षा से १२ साल के लडके को बाहर खींच कर निकाला और चाकुओं से उसे घायल कर दिया. उसका कसूर केवल इतना था कि उसने कुछ दिन पहले अपने साथ पढने वाली मित्र को उनके दुर्व्यवहार से बचाया था. इसी तरह की एक घटना में एक किशोर ने अपने साथी का इस लिये खून कर दिया क्यों कि उसे शक था कि उसने उस पर काला जादू किया है. कुछ समय पहले एक और दिल दहलाने वाली खबर पढ़ी कि एक १५ साल के किशोर ने अपनी पडौस की महिला से ५० रुपये उधार लिये थे और जब उस महिला ने यह बात उसकी माँ को बता दी तो उसे इतना क्रोध आया कि उसने उसके घर जा कर उस महिला पर चाकू से हमला कर दिया और जब उसकी चीख सुन कर पडौस की दो महिलायें बचाने के लिये आयीं तो उसने उन पर भी हमला कर दिया और तीनों महिलाओं की मौत हो गयी. एक छोटी जगह की इसी तरह की एक खबर और पढ़ी थी कि स्कूल से अपने साथी के साथ लौटते हुए एक लडकी को उसके साथ पढने वाले ४,५ साथियों ने रास्ते में रोक कर लडकी के साथ सामूहिक बलात्कार किया. अपने ही साथ पढ़ने वाले साथी का फिरौती के लिये अपहरण और हत्या के कई मामले समाचारों में आये हैं. बलात्कार, लूट, वाहन चोरी, जेब काटना, चोरी करने आदि के समाचार तो बहुत आम हो गये हैं. छोटी उम्र से शराब और ड्रग्स का प्रयोग एक सामान्य शौक बन गया है. आज के किशोरों का व्यवहार देख कर समझ नहीं आता कि इस देश की अगली पीढ़ी का क्या होगा.

आगे पढने के लिये कृपया इस लिंक पर क्लिक करेंKashish - My Poetry: किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृति

37 comments:

  1. जी ...समझ नहीं आता कि ये प्रगति हमें कहाँ ले जाएगी ....गर्क की ओर या प्रगति की ओर ......?

    ReplyDelete
  2. Ye pragati hai peeche kee or...

    ReplyDelete
  3. सच कह रहे हैं आप कहीं न कहीं इस सब के जिम्मेदार शायद हम और हमारा समाज ही है क्यूंकि घर में हम बच्चों को चाहे कितने भी अच्छे संस्कार क्यूँ न दे लें लेकिन बाहर एक साफ सुथरा संसार नहीं दे पा रहे हैं और यही वजह है कि कुछ इस प्रकार कि सामाजिक गतिविधियाँ तेज़ी से बढ़ रही है। जिसके चलते बच्चों में आक्रोश ज्यादा और धर्य कम होता जा रहा है। जिसका परिणाम है यह घटनायें....सार्थक एवं बेहद गांभीर विचारणीय आलेख....

    ReplyDelete
  4. baal apradhon ke yah pravriti sach mein bahut chintajanak hai...
    badiya vicharsheel prastuti..aabhar

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्‍तुति .आभार

    ReplyDelete
  6. vakai ye vicharniy hai ki bachchon me is tarh ki aakramakta kyon aa ti ja rahi hai.

    ReplyDelete
  7. इस प्रवृत्ती को रोकना होगा । समाज के लोगों ही यह काम करना होगा । सरकार के भरोसे छोडा नही जा सकता ।

    ReplyDelete
  8. सही में यह एक गंभीर मुद्दा है ,,,,,,

    ReplyDelete
  9. मेरे खयाल से social media इस के लिए ज्यादा जिम्मेदार है

    हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)

    ReplyDelete
  10. gambhir samsya par saarthk lekh....

    ReplyDelete
  11. Bohot gambhir samasya he ye.....sundar lekh...

    ReplyDelete
  12. bahut hee gambheer visay....is par sabhee logo ko dhyan dena chahiye

    ReplyDelete
  13. हम जिम्मेवार हैं ...

    ReplyDelete
  14. postingan yang bagus tentang"किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृति "

    ReplyDelete
  15. कहीं न कहीं हम ही जिम्मेदार हैं किशोरों की िस प्रवृत्ती के लिये । ुन्हें संस्कारित किया ही नही जा रहा ।

    ReplyDelete
  16. बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है इस लेख में |अच्छी लखौर सार्थक भी |
    आशा

    ReplyDelete
  17. चिंता जायज़ है क्योंकि मामला व्यक्तिगत न होकर सामाजिक-राष्ट्रीय आयाम लिए हुए है। बिखरते ताने-बाने का एक दिन यही हश्र होना था।

    ReplyDelete
  18. यह समस्या गंभीर होती जा रही है..
    इस पर समाज को ही हल निकालना होगा..

    ReplyDelete
  19. Parents must give proper guidance to their children.

    ReplyDelete
  20. दीपावली की अनंत शुभकामनाएँ!!
    नया पोस्ट.. प्रेम सरोवर पर देखें।

    ReplyDelete
  21. aaj ki stithi ka yatharth chitran....aaj ke abhibhavko ko baccho pr bahut adhik dhyan dene ki joorurat hi,

    ReplyDelete
  22. बहुत अच्छा मुद्दा उठाया....आज की स्थिति चिंतनीय है

    ReplyDelete
  23. आपकी चिंता जायज है ...जाने ऐसी अपराध प्रवृति हमारे समाज को किस गर्त में धकेल देगी .. ..चिंतनशील प्रस्तुति ....

    ReplyDelete
  24. चिंता का विषय है , आपने सही विषय उठाया

    ReplyDelete
  25. sahi kaha aapne ...istithi bahut khatarnaak ho gai hai ....

    ReplyDelete
  26. vadik sanskriti apnakar hi kishoro ko bachaya ja sakta hai.

    ReplyDelete
  27. post karna kyu band kar diya

    ReplyDelete
  28. Kafi chintajanak vishya hai...

    ReplyDelete
  29. संध्याकालीन अभिवादन !
    बात निल्कुल ठीक है !!

    ReplyDelete
  30. आपको नववर्ष की मंगल कामनाएं...

    ReplyDelete
  31. chinta sach much jaayaz hai, lekin ise badalne ke liye shuruwat bhi hum logon ko hi karni hogi..
    bacchon ko ache sanskar dene honge, unhe sahi galat ka ehsaas batana hoga..

    Nav-Varsh ki shubhkamnayein..
    Please visit my Tech News Time Website, and share your views..Thank you

    ReplyDelete
  32. बहुत अच्छा मुद्दा उठाया
    आप जैसे हर आदमी अगर इसी तरह के मुद्दा उठाये तो समाज जरूर सजग हो जायेगा

    ReplyDelete
  33. हमारी नैतिक जिम्मेदारी कुछ है या नहीं ? पता नहीं ?

    ReplyDelete