आजकल देश के अधिकाँश भाग में नवरात्रि का उत्सव मनाया जा रहा है. आदिशक्ति दुर्गा का पूजा अर्चन सभी जगह अपनी अपनी परंपरानुसार किया जा रहा है. नौ दिन दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और सभी जगह वातावरण भक्तिमय हो जाता है. उत्तर भारत में दुर्गा अष्ठमी को, जो नवरात्रों में आठवें दिन आती है, दुर्गा पूजा का समापन बहुत श्रद्धा पूर्वक किया जाता है और छोटी बालिकाओं को बुला कर उनको भोजन करा कर उनकी पूजा और चरण वंदन किया जाता है. यह कन्या या कंजक पूजन के नाम से भारत के अधिकाँश भागों में जाना जाता है.
नवरात्रि में दुर्गा पूजन आदिशक्ति के पूजन का प्रतीक है. भारतीय समाज में प्रारंभ से ही नारी को बहुत उच्च स्थान दिया गया है और उसे शक्ति और ममता का प्रतीक होने की वजह से पूज्यनीय माना गया है. लेकिन आज के समाज में जब अपने चारों ओर दृष्टि डालते हैं तो हम सोचने को मज़बूर हो जाते हैं कि क्या हम आज नारी को, चाहे वह माँ, बहन, पत्नी या पुत्री के रूप में हो, उनका उचित स्थान दे रहे हैं. क्या केवल वर्ष में दो बार नवरात्रि के अवसर पर नारी शक्ति का वंदन काफ़ी है? क्यों नहीं हम इसे अपनी जीवन पद्धिति और सामाजिक व्यवस्था का अंग बना पाते?
आज सुबह एक समाचार पढ़ कर कि देश में लडकियों की संख्या का अनुपात लड़कों की तुलना में निरंतर कम होता जा रहा है मन क्षुब्ध हो गया. जिस लडकी को हम नवरात्रों में घरों से बुलाकर बड़े प्यार से लाते हैं और उनका पूजन करते हैं, वे ही लडकियां नवरात्रों के बाद क्यों अवांक्षित हो जाती हैं? क्यों हम लडकी के जन्म पर खुश नहीं होते? क्यों प्रत्येक व्यक्ति परिवार के वारिस के रूप में एक पुत्र ही चाहता है? क्यों पुत्रियां हमारी पारिवारिक और सामजिक मूल्यों की वारिस नहीं बन सकतीं?
पुत्र की चाह में कुछ पारिवार जन्म से पहले ही बच्चे का भ्रूण परिक्षण कराते हैं और अगर कन्या का परिणाम आता है, तो उसका गर्भपात कराके जन्म लेने से पहले ही उसकी हत्या कराने से भी नहीं हिचकिचाते. यह सही है कि कुछ कारण हमारी सामाजिक दुर्व्यवस्था, गलत रीति रिवाज़, विकृत सोच आदि के कारण भी पैदा होते हैं. दहेज जैसी कुरीतियाँ, लडकियों के साथ दुर्व्यवहार और हमारे धार्मिक अन्धविश्वास भी इस सोच में आग में घी का काम करते हैं. हमें अपनी सोच बदलनी होगी. शिक्षा के साथ आज इस विचारधारा में कुछ परिवर्तन आने लगे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. इस कुरीति के कारण और परिणाम एक अलग विषद विवेचन के विषय हैं, लेकिन यहाँ मुख्य उद्देश्य इस कुप्रथा पर सभी का ध्यान आकृष्ट करना है.
भ्रूण जांच और उसके आधार पर कन्या भ्रूण की हत्या एक जघन्य कृत्य है, जिसको रोकने के लिये न केवल कठोर क़ानून की ज़रूरत है, बल्कि हमें लडकी के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी. अगर हम लडकियों को भी वही सुविधायें दें, वही शिक्षा दें, वही प्रोत्साहन दें जो एक पुत्र को देते हैं, तो कोई कारण नहीं कि हमारी पुत्रियां परिवार और समाज में वही स्थान प्राप्त न कर सकें, जिसकी हम पुत्रों से आशा करते हैं.
यह कितनी बड़ी विडम्बना और हमारा दोगलापन है कि जिस लडकी को हम नवरात्रों में देवी का प्रतिरूप मान कर उसकी पूजा करते हैं, उसी लडकी से हम जन्म लेने का अधिकार छीन लेते हैं. अगर हम दुर्गा माता की सच्ची पूजा अर्चन करना चाहते हैं तो हमें लडकियों को वही प्यार और सम्मान देना होगा जो हम उन्हें नवरात्रों में कन्या पूजन के समय देते हैं. अगर हम इस में चूक गऐ तो वह दिन दूर नहीं जब हम नवरात्रों में कन्या पूजन के लिये कन्या ढूँढते रह जायेंगे.
हमारे देश के कई प्रान्तों में तो कन्यायों का अकाल शरू ही हो गया है
ReplyDeleteबहुत ही सोचनीय है कन्याओं के अनुपातिक संख्या का घटना
ReplyDeleteकन्या भ्रूण हत्या वो भी उस देश में जहाँ नारी रूप में माँ दुर्गा जी के शक्ति रूप कि पूजा होती है ...बेटी भी परिवार की वंश परंपरा की वाहक होती है ..उसे भे पुत्र के सामान सामाजिक अधिकार प्रदान किये जाने चाहिए ..जाने क्यों हम पश्चिम की कई बुरी परम्पराओं का अनुकरण करके अपने को तथाकथित विकसित और आधुनिक बना रहे हैं ....पर इस विषय पर हम इतने रूढ़ीवादी क्यों....???
सार्थक आलेख के लिये बधाईयां ...
ReplyDeleteनवरात्रि पर सपरिवार मित्रों सहित हार्दिक शुभ कामनाएं !!!
vah vah
ReplyDeletekeya baht hai
नवरात्रि हार्दिक शुभ कामनाएं !!!
बढ़िया प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई ||
सार्थक आलेख..बढ़िया प्रस्तुति...नवरात्रि हार्दिक शुभ कामनाएं !!
ReplyDeleteShri maan ji
ReplyDeleteNamskaar
maine bhi esi hi ek koshish ki hai.
आपने बिलकुल सही मुद्दा उठाया है . ऐसी ही कई बातें हैं जो मुझे भी परेशान करती रहती है. जबाव खोज रही हूँ. अच्छी लगी ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! सुन्दर एवं सार्थक आलेख!
ReplyDeleteआपको दशहरा की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
कल 13/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
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