अप्रैल माह रविवार की एक भीगी भीगी सी सुबह थी. खिड़की से
बाहर झांकती सुमन बोली ‘रमेश, बाहर देखो कितना सुहावना मौसम है. रात भर ओले और तेज
बारिस के बाद बाहर कितना अच्छा मौसम हो गया है. बहुत दिन हो गए गर्मी में घर में
बैठे बैठे. चलिए कहीं पिकनिक पर चलते हैं बच्चों के साथ.’
‘ठीक है सुमन. तुम बच्चों को भी तैयार कर लो.
पहले लम्बी ड्राइव पर चलेंगे और किसी रिसोर्ट में लंच करेंगे.’ बिस्तर से उठते हुए
रमेश बोला.
‘जी, आज सारा दिन बाहर ही गुजारेंगे और रात को
पिक्चर देख कर और बाहर ही खाना खा कर आयेंगे.’ सुमन ने रमेश के गले लगते हुए कहा और
गुनगुनाते हुए कमरे से बाहर निकल गयी.
*****
रात भर तेज बारिस और कड़कती बिजली का शोर श्यामू के मन
को दहलाता रहा. खपरैल की छत पर ओलों के गिरने की तीव्र आवाज़ सर पर पत्थर की चोट जैसी
लग रह थी. रात भर वह अप्रैल के महीने में बे-मौसम बरसात और खेतों में खड़ी फसल के
बारे में सोच कर सो नहीं पाया. कई बार खेतों में जाने की सोचा, लेकिन बारिस की तीव्रता
को देख कर वह मन मसोस कर रह गया. सुबह उठते ही बाहर आकर देखा तो बादल साफ़ थे और वह पत्नी की नास्ते के लिए आवाज़ अनसुनी करके खेतों की ओर भागा. ओले और तेज बारिस से
नीचे जमीन पर पड़े गेहूँ की बालियों को देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं. अपने
खेत में गेहूँ की कल तक लहलहाती बालियों को आज जमीन पर गिरी देख उसकी आँखों के
सामने साहूकार, भूखे बच्चों और शादी के योग्य बेटी कमला की सूरत तैरने लगी. बेमौसम बरसात से अपने सपनों को जमीन पर कुचला पड़ा देख उसकी आँखों के
सामने अँधेरा छा गया और वह अपने सीने को पकड़ कर जमीन में लेटी हुई गेहूँ की
बालियों पर बेजान हो गिर पड़ा. उसकी खुली आँखें एकटक खोज रहीं थीं आसमान के गर्भ
में छुपे बेमौसम काले बादलों को.
...कैलाश शर्मा
सिक्के के दो पहलू । सुंदर ।
ReplyDeleteजी सच है एक की पिकनिक और एक का मातम ....
ReplyDeleteकिसान देश की शान.....
ReplyDeleteफिर भी किसान हैं बेचारा व बेसहारा...:-(
हकीकत को बयाँ करती बेहतरीन रचना सर!!!!
मौसम का असर दो भिन्न वर्ग के लोगों पर किस प्रकार भिन्न असर डालता है ! एक के लिये आनंद का कारण और दूसरे के लिये मातम की वजह बन जाता है बहुत ही प्रभावशाली तरीके से अभिव्यक्त किया है इस लघु कथा में ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteसटीक चित्रण
ReplyDeleteसटीक चित्रण
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..कहीं गम कही ख़ुशी
ReplyDeleteसादर नमस्ते भैया
एक ही मौसम का दो अलग-अलग लोगों पर उनकी परिस्थिति के अनुरूप क्या असर होता है, सिक्के के दोनों पहेलु का सुन्दर चित्रण ...
ReplyDeleteकिसान की दर्द्नाक ज़िन्दगी का सच्1 उम्दा लघु कथा1
ReplyDeleteमौसम के मार झेलते किसान के हालात को सुंदर ढंग से आप ने व्यक्त किया है, साथ प्रथम भाग में सुंदर कटाक्ष हुआ है ।
ReplyDeleteसुमन और श्यामू दो छोर हैं नागर और किसानी पर आधारित भारत के। आधा भारत मौसम के भरोसे ज़िंदा है सूखा और अति की बरसात यही नियति बन चली है इस एक और भारत की। कसावदार कथा लघु रूप में हिमालयी कथ्य छिपाए।
ReplyDeleteसुमन और श्यामू दो छोर हैं नागर और किसानी पर आधारित भारत के। आधा भारत मौसम के भरोसे ज़िंदा है सूखा और अति की बरसात यही नियति बन चली है इस एक और भारत की। कसावदार कथा लघु रूप में हिमालयी कथ्य छिपाए।
ReplyDeleteअद्भुत - कथा । 'झलकी ' की तरह ऑखों के सामने दिख रही है । संवेदना की पराकाष्ठा ।
ReplyDeleteआदरणीय शर्मा सर ,
ReplyDeleteसिक्के के दोनों पहलुओं का वर्णन बहुत ही भावपूर्ण और बांध के रखने वाली शैली में हुआ है सर।
बहुत ही बढ़िया लघु कथा।धन्यवाद।
हम जैसों को भी आपके पथ प्रदर्शन की अति आवश्यकता है। सम्भव हो तो मार्गदर्शन अवश्य कीजियेगा।
सादर नमन आदरणीय ,
ReplyDeleteमेरे प्रथम आग्रह पर तुरंत अपना अमूल्य समय और प्रतिक्रिया प्रदान करने हेतु
ह्रदय से आपका आभार।
सटीक चित्रण ... एक सा हर किसी को नहीं मिल पाता कभी ...
ReplyDeleteशीर्षक को सार्थक करती कहानी ...
किसानों की जिंदगी सच में जहन्नुम से कम नही है , कम से कम भारत में तो ऐसा ही है ! सब कुछ भगवान भरोसे ! एक सिक्के के दो पहलु ! बहुत ही सटीक चित्र खींचा है आपने दोनों का आदरणीय कैलाश शर्मा जी !
ReplyDeleteकिसान कि जिंदगी ..आज का मौसम....बातें यक़ीनन दिल की हैं ..गहरी हैं
ReplyDeleteआभार
सच कहा किसान का जीवन बहुत ही दुश्कर है।
ReplyDeleteThis is life on earth.Somewhere hills and somewhere valleys.Very touching story the second one.
ReplyDeleteसमय के साथ संवाद करती आपकी प्रस्तुति काफी रोचक लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।सुप्रभात मित्र।
ReplyDeleteEk hee tasweer ke do pahaloo.
ReplyDeleteएक सिक्के के दो पहलू,वास्तविक घटना सी लग रही हैं ये कहानी
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारिये
http://ghoomofiro.blogspot.in/
अच्छी कहानी
ReplyDeleteIsi bhedbhav ko log kismat ka nam dete hain or jiski kismat jaisi rahe ,soch or halat bhi waise hi hote hain....achhi laghukatha.
ReplyDelete18 साल की उम्र तक बलात्कार करते रहिये ...
ReplyDeleteजी हां---अगर आपकी उम्र 18 साल से कम है तो आप बेफ़िक्र होकर बलात्कार कीजिये या फिर कोई भी जुर्म कीजिये हिन्दुस्तान का कानून आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता .
अगर आपकी भी मानसिकता इस तरह की है तो फिर नोच डालिए किसी निर्भया की इज्ज़त को
जितनी हेवानियत है आजमां लीजिये ...देर किस बात की है India gate फिर से आपके जुर्म का इंतज़ार कर रहा है ..जनता को भी तो मोमबत्ती लेकर सड़कों पर उतरने का मोका मिलना चाहिए
अगर गलती से कभी पकडे भी गए तो चिंता ना करे इसकी भी सुविधा हमारा कानून देता है
आपका कोई कुछ नहीं उखाड़ सकेगा आपके लिये केस लड़ने वाले NGO और बड़े बड़े वकील लाइन में खड़े होंगे आपको बस 2-3 साल तक “ बाल सुधारगृह “ में मोज मस्ती करवाई जाएगी जेल नहीं होगी
बस दुःख इतना है की आपको दुनिया की नजरो से दूर रखा जायेगा ताकि जब आप 2-3 साल मस्ती मरने करने बाद जब बाहर आओगे तो आपको कोई पहचान ना सके .की यही वो बलात्कारी है
जब आप बाहर आओगे तो बड़े बड़े नेता और समाजसेवी आपके पुनर्वास की तैयारी में लगे होंगे
पुनर्वास के नाम पर आपको हजारों रूपये मिलेंगे ..आपके के लिए नोकरी भी तलाशी जाएगी ..
लेकिन हाँ ---बस आपकी उम्र 17 साल 364 दिन से कम होनी चाहिए
online gift delivery
ReplyDeleteValentine Day
ReplyDeleteAvail valentine gifts online at the attractive prices.
ReplyDelete